Nirankar dev sevak biography definition

बच्चों की आवाज 'चंदा मामा दूर के' लिखने वाले बाल साहित्यकार अब गुमनामी के कगार पर - बरेली ताजा खबर

बरेली: मशहूर साहित्यकार निरंकार देव सेवक जिन्होंने कविताएं, कहानियां, शिशु साहित्य से लेकर बाल गीत साहित्य लिखकर देश दुनिया में ख्याति पाई. साहित्य लेखन के क्षेत्र में अपना पूरा जीवन खपा देने बाल साहित्य के पितामह को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो असल हकदार थे. बच्चों के लिए 55 पुस्तकें लिखने वाले व बाल कविता को दिशा देने वाले निरंकार सिंह के बारे सरकार ने कोई सुध अभी तक नहीं ली.

ससुर को सम्मान दिलाने को लगातार प्रयासरत हैं पूनम
बता दें की कई दशक पहले दुनिया को अलविदा कह चुके बाल साहित्यकार डॉक्टर निरंकार देव सेवक का नाम हमेशा सबसे पहले लिया जाता है, लेकिन भले ही उन्होंने पूरा जीवन बाल साहित्य लेखन में समर्पित कर दिया हो, लेकिन सरकारों ने उतना ख्याल उनका नहीं रखा. ये कहना है उनकी पुत्रवधु पूनम सेवक का. पूनम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने तमाम उन विषयों पर चर्चा कीं जो उन्होंने एक साहित्यकार के जाने के बाद से देखीं व झेली हैं.

बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की पुत्रवधू से खास बातचीत.

सन के बाद से किसी प्रकाशक ने नहीं दिया पैसा
गौरतलब है कि पूनम सेवक डॉक्टर निरंकार देव सेवक सिंह की पुत्रवधू हैं. वो बताती हैं कि उनके ससुर डॉक्टर निरंकार देव सेवक को साहित्य लिखना था. पांडुलिपि तैयार की जा रही थी, तो उन्होंने भी अपने ससुर का पूरा सहयोग किया था. इसका जिक्र भी बालगीत साहित्य की प्रस्तावना में मिलता है. पूनम कहती हैं कि डॉक्टर निरंकार देव सेवक जीवन के आखिरी समय तक लिखते रहे, उन्हें सिर्फ लिखना और पढ़ना ही पसन्द था. पूनम ने बताया कि सन के बाद से परिवार को कहीं किसी प्रकाशक ने कोई पैसा उनके साहित्य छापने का नहीं दिया. जबकि उनकी लिखी रचनाएं लगातार न सिर्फ विद्यालयों में पढ़ाई जा रही हैं, बल्कि अलग-अलग पुस्तकों में शामिल हैं.

बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की रचनाएं

हरिवंशराय बच्चन के थे खास मित्र
खास तौर से बच्चों की कक्षाओं में पढ़ाई जाने वाले साहित्य में डॉक्टर निरंकार देव सेवक की भी रचनाएं पहले भी खूब पढ़ने को मिलती थीं. इतना ही नहीं वर्तमान में भी बच्चों की पुस्तकों में से कई में डॉक्टर निरंकार देव सेवक की लिखीं रचनाएं पढ़ाई जा रही हैं. पूनम बताती हैं कि जो सम्मान बाल मनोविज्ञान के जानकार इस साहित्यकार को मिलना चाहिए था वो नहीं मिला. उन्होंने बताया कि प्रकाशकों ने भी खूब बेइमानी की. पूनम ने बताया कि में छपी चिंगारी हो या बालगीत साहित्य उनकी हर रचना व कृति व पुस्तक वो सहेजे हुए हैं. बता दें कि हरिवंशराय बच्चन उनके खास मित्र थे, जो कि अपनी हर छोटी बड़ी बात हमेशा उन्हें बताते थे.

बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की रचनाएं

इस महान साहित्यकार के परिवार में अब पुत्रवधु पूनम ही उनके लिए समय-समय पर उचित सम्मान के लिए मांग उठाने के लिए शेष हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से पूनम कहती हैं कि उन्हें सरकार से यही कहना है कि अगर सरकार निरंकार सिंह की 55 पुस्तकों व बाल गीत साहित्य की रचनावली बना दें तो एक साहित्यकार का सम्मान जीवित हो उठेगा. वो कहती हैं कि अन्यथा एक साहित्यकार को ठेस तो पहुंचती ही रहेगी.

बाल साहित्यकार निरंकार देव सेवक की रचनाएं

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निरंकार देव सेवक का परिचय
'दूर देश से आई तितली चंचल पंख हिलाती, फूल-फूल पर, कली-कली पर इतराती-इठलाती' जैसी चर्चित कविता लिखने वाले सेवक का जन्म 19 जनवरी को हुआ था. उन्होंने एमए, एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की थी. सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के साहित्यकार पिता हरिवंश राय बच्चन और उनकी मां तेजी बच्चन पहली बार बरेली में निरंकार देव सेवक के घर ही मिले थे. उनकी कविताओं में कभी उपदेश नहीं होते थे. वे ऐसी कविताएं रचते थे जो बाल मन को भा जाती थीं. बच्चा खेल-खेल में ही उनको याद भी कर लेता था. 29 अक्तूबर को उनका देहांत हो गया.

ये हैं रचनाएं

  • एक शहर है चिकमंगलूर
  • यहां बहुत से हैं लंगूर
  • एक बार जब मियां गफूर
  • खाने गए वहाँ अंगूर
  • बिल्ली एक निकल आई
  • वह तो थी उनकी ताई
  • कान पकड़ कर पटकी दी
  • जै हो बिल्ली माई की
  • चंदा मामा दूर के